उद्देश्य: मुद्रा विनिमय दर का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव का अध्ययन करना।
प्रक्रिया: दो देशों को व्यापार करते समय अपनी मुद्राओं का विनिमय करना पड़ता है। अलग अलग देशों की मुद्राओं का मूल्य अलग होता है इसलिए व्यापार में लेन देन करते समय हम मुद्राओं का विनिमय दर निर्धारित करते है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार में सबसे बड़ी समस्या विदेशी भुगतान के लिए कौन सी मुद्रा प्रयोग में लाई जाए ये है। परंतु वर्तमान युग में जब प्रत्येक देश अपनी मुद्रा को दूसरे देश की मुद्रा में बदलना चाहता है तो ऐसे में विदेशी दायित्वों को चुकाना एक जटिल समस्या है विभिन्न देशों में विभिन्न मुद्राएं चलन में होती है जब इन देशों में व्यापार होता है तो आप सी भुगतान के लिए उनकी मुद्राओं में विनिमय दर का प्रश्न उपस्थित होता है। विनिमय दर के निर्धारण में दो विभिन्न देशों की मुद्राओं के पारस्परिक मूल्य को ज्ञात किया जाता है । दूसरे देश को दी हुई मुद्रा की इकाइयों के बदले एक देश की मुद्रा की कितनी इकाइयां प्राप्त की जा सकती है । स्वतंत्र विश्व अर्थव्यवस्था में दो देशों की विनिमय दर को सदैव निश्चित नहीं माना जा सकता वरन विश्व में उस मुद्रा की मांग व पूर्ति में होने वाले परिवर्तन उसकी विनिमय दर को भी प्रभावित करते हैं । मुद्रा विनिमय दर का निर्धारण उसी सिद्धांत के आधार पर किया जाता है । जिसके अनुसार वस्तुओं का मूल्य निर्धारित होता है अर्थात मांग और पूर्ति का सिद्धांत। इस प्रकार विनिमय दर का निर्धारण उस बिंदु पर होता है । यहां पर विदेशी मुद्रा की कुल मांग उसकी कुल सूची पूर्ति के बराबर हो जाती है। यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में किसी मुद्रा की मांग बढ़ती है,तो उसका मूल्य बढ़ने की प्रवृति उत्पन्न हो जाती है। और यदि मुद्रा की मांग कम हो जाती है तो उसके मूल्य में कमी होने लगती सिद्धांत वर्तमान अंतरराष्ट्रीय विनिमय दर एक प्रतिबंधित अस्थायी विनिमय दर द्वारा निर्धारित की जाती है । एक प्रतिबंधित अस्थायी विनिमय दर का अर्थ है कि प्रत्येक मुद्रा का मूल्य उसकी सरकार या केंद्रीय बैंक की आर्थिक क्रियाओं से प्रभावित होता है।
यदि अमेरिका का एक व्यापारी ब्रिटेन से एक मशीन का आयात करना चाहता है तो उसे पौंड स्टर्लिंग में कीमत पर विचार करना होगा कि डॉलर में पॉन्ड का क्या मूल्य है। मुद्रा विनिमय दर का निर्धारण उस बिंदु पर होता है यहां विदेशी मुद्रा की मांग व पूर्ति बराबर हो जाती है।
निष्कर्ष: विनिमय दर व्यापक आर्थिक कारकों जैसे मुद्रा स्फीति, ब्याज दर,सट्टा बाजार बैंकिंग प्रभाव से प्रभावित होती है क्योंकि यह बड़े पैमाने पर एक अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य को निर्धारित करते हैं।